मकरसंक्रांति का पवित्र पर्व मनाना कब होगा शुभ जाने कैसे मिलेगा शनि सूर्य और पितृ दोष से शांति
धनबाद–मकर संक्रांति का पवित्र पर्व पूरे देशभर में विभिन्न तरीके से मनाया जाता है । ज्योतिष के अनुसार सूर्य सारे ग्रहों की परिक्रमा करते हुए जब धनु राशि से निकलकर शनि की राशि अर्थात मकर राशि में प्रवेश करते है तब सूर्य उत्तरायण और चंद्र दक्षिणनयन हो जाता है जिसे हम लोग मकरसंक्रांति के रूप में मनाते है और दोनों ग्रहों की एक साथ पूजा अर्चन कर उसे शांत करते है इसी दिन से खर मास की समाप्ति हो जाती है और शादी-विवाह, मुंडन,
यग्योपवित गृह प्रवेश जैसे मांगलिक शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते है ।
14 जनवरी दिन 3 बजके 26 मिनट के बाद होगा मकरसंक्रांति का स्नान दान का पुण्यकाल
काशी विश्वनाथ पंचांग के अनुसार इस वर्ष खर मास की समाप्ति 14 जनवरी मंगलवार दिन 3 बजके 26 मिनट पर हो रहा है और इसी समय भगवान भास्कर मकर राशि में प्रवेश कर रहे है इसी लिए मकरसंक्रांति का पवित्र पर्व व स्नान दान का पुण्य काल मंगलवार दिन 3 बजके 26 मिनट के बाद से होगा
पूजन व दान पुण्य कर करे शनि सूर्य और पितृ देव को प्रसन्न मिलेगा वर्ष भर सुख शांति और समृद्धि
मकर संक्रांति के दिन सूर्य शनि और पितृ इन तीनो की एक साथ ही पूजन होती है अतः शनि की साढ़े साती अढैया ,कुंडली मे सूर्य ग्रहण योग और पितृ दोष शांति हेतु इस दिन बिशेष पूजन पाठ व दान पुण्य करने से वर्ष भर सुख शांति की कमी नही होती है
देवी देवताओं का पूजन कर अन्न वस्त्र और धार्मिक पुस्तक का दान करने से मिलता है भाग्य का साथ
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर गंगा नदी में स्नान करे ,संभव न हो तो किसी भी पवित्र नदी, कुंवा या घर के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करे फिर नूतन यग्योपवित धारण कर भगवान सूर्य नारायण को अर्घ दे कर घर के सभी देवी देवतओं को पूजा कर चूड़ा गुड़ तिलकुट और दही का भोग लगाए फिर किसी ब्राम्हण या गरीब को अन्न, तिल, गुड़, वस्त्र, कंबल, चावल, उड़द सहित अन्य सामग्रियों का दान करे हलाकि इस दिन घर मे ब्राम्हण को भोजन करा कर ऊनी वस्त्र पंचांग या धार्मिक पुस्तक दान करने से बिशेष पुण्य की होती है प्राप्ति चमकता है किस्मत